Friday, September 21, 2007

मुखौटा

मुस्कुराह्टे तो मुखौटा होती हैं
जो दर्द को छिपा लेती हैं
दर्द कि लकीरें जब रंग लाती हैं
चेहरे पर एक हंसी खिल आती है
हर हंसी के पीछे एक राज छिपा है
हर मुखौटे का एक मकसद है
किसी के पीछे है दर्द
तो कहीं है मक्कारी
वक़्त ही ऐसा है के मुखौटा एक मज़बूरी है
अपने जज्बात छुपाना बहुत जरुरी है
लोग तो मुखौटा नोच लेते हैं
फिर जज्बातों कि क़द्र कहां
इसलिये मुखौटा लगाए रखिये
जज्बातों को छुपाये रखिये
हंसते रहिए , हंसाते रहिए
दर्द को बस महसूस कीजिये और मुस्कुराते रहिए

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