Friday, September 21, 2007

मिल मिल कर बिछड़्ने का मजा क्यों नही देते
हर बार कोई जख्म नया क्यों नही देते
ये रात ये तनहाई ये सुनसान दरीचे
चुपके से मुझे आके सदा क्यों नही देते
है जान से प्यारा मुझे ये दर्द ए जिंदगी
कब मैंने कहा तुमसे दवा क्यों नही देते
ग़र अपना समझते हो तो दिल मे जगह दो
हूँ ग़ैर तो महफ़िल से उठा क्यों नही देते

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